३ : : धर्म-ऋण
एक बार सरदार वल्लभभाई पटेल कांग्रेस के लिए निधि-संग्रह के काम से रंगून गये। उस सयम जब-जब वे चीनियों के पास चन्दा उगाहने जाते, तब-तब चीनी लोग चन्दे की सूची में अपना कोई आंकड़ा चढ़ाते नहीं थे, बल्कि घर के अन्दर जाकर यथाशक्ति जो रकम उन्हें देनी होती, हाथों-हाथ दे दिया करते थे।
चीनियों के इस व्यवहार को देखकर सरदार ने एक चीनी सज्जन से इसका कारण पूछा।
उन चीनी सज्जन ने जवाब में कहा, "हम इसे धर्म-ऋण कहते हैं। सूची में आंकड़ा चढ़ाने के बाद यदि उतनी रकम हाथ में न हुई, तो उसे चुकाने में जितने दिनों की देर होती है, उतने दिन का ऋण ही हम पर चढ़ता हैं। धर्म-ऋण का यह पातक हम लोगों में सबसे बुरा माना जाता है। इसलिए हमें चन्दे में या कोष में कोई रकम देनी होती है, तो तुरन्त देकर इस ऋण से मुक्त होने का अनुभव करते हैं।"
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